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राशन माफियाओं ने 51 हजार 96 हितग्राहियों के राशन का किया गबन

जिला प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, तीन राशन माफियाओं पर रासूका, 31 लोगों पर प्रकरण दर्ज
इंदौर. कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देशन में माफियाओं के विरूद्ध लगातार बड़ी कार्रवाई की जा रही है. इसी सिलसिले में शासकीय उचित मूल्य दुकान के माध्यम से गरीबों के राशन की हेराफेरी करने का एक बड़ा मामला उजागर किया गया है. जिला प्रशासन ने राशन माफियाओं के विरूद्ध की जा रही कार्यवाही में बड़ी सफलता हासिल की है. अधिकारियों ने 51096 हितग्राहियों के राशन के गबन को उजागर किया है. इसमें 79 लाख के खाद्यान्न की गड़बड़ी की गई है. मामलें में 31 लोगों पर प्रकरण दर्ज किया गया है.
मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में कलेक्टर मनीष सिंह ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी भरत दवे और प्रमोद दहीगुडे के सहयोग से उनके परिजनों तथा परिचितों द्वारा संचालित की जा रही उचित मूल्य दुकानों से सामग्री वितरण नहीं करने या कम मात्रा में देने की शिकायतें प्राप्त हो रही थी. इस संबंध में मिली शिकायतों की जांच के बाद 12 शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को चिन्हित किया गया.
दुकानों की जांच के लिए अनुविभागीय अधिकारियों के नेतृत्व में दल गठित किया गया. गठित दल द्वारा 12 जनवरी को इन 12 दुकानों के कारोबार स्थलों पर जाकर उनके रिकॉर्ड और पीओएस मशीन की जांच कर भौतिक सत्यापन किया गया तो कई अनियमितताएं सामने आई. साथ ही मप्र सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2015 के प्रावधानों का उल्लंघन होता पाया गया।
बाजार में अधिक दर पर बेचते थे
जांच के दौरान उक्त दुकानों के संचालन में आरोपी भरत दवे की संलिप्तता राशन माफिया के रूप में पायी गयी. आरोपी भरत द्वारा राशन दुकान संघ का अध्यक्ष होने के कारण दुकान संचालकों के साथ गरीबों के राशन की चोरी कर उसे अधिक दर पर बाजार में बेचकर धन अर्जित किया जाता था. कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों ने बताया कि छात्र प्राथमिक उपभोक्ता सहकारी समिति का उपाध्यक्ष श्याम दवे भी राशन घोटाले के कार्य में भरत दवे का निकटतम सहयोगी था. इसी तरह तीसरे आरोपी प्रमोद दहीगुडे जो कि तीन दुकानों का संचालन करता है, उसके द्वारा भी राशन की हेरा-फेरी कर आर्थिक लाभ कमाया जा रहा है.
फूड कंट्रोलर भी था शामिल
उन्होंने बताया कि जांच में पाया गया कि राशन की हेराफेरी की शिकायतों के उपरांत भी विगत दिवस संभागायुक्त द्वारा निलंबित किये गये प्रभारी खाद्य नियंत्रक आरसी मीणा ने अपने दायित्वों का निर्वाहन नहीं किया बल्कि राशन माफियों का साथ देते रहे. उनके द्वारा राशन माफियों के खिलाफ कार्रवाई करने से अपने कनिष्ठ अधिकारियों को भी रोका गया. निलंबित फूड कंट्रोलर आरसी मीणा की भूमिका उक्त राशन माफियों के साथ सलिप्तता पायी गयी है. जिस कारण उनके विरूद्ध भी प्रकरण दर्ज किया गया है.
31 पर की कार्रवाई
इसी तरह उक्त पूरे राशन घोटाले के प्रकरण में कुल 31 व्यक्तियों के विरूद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 सहित आईपीसी की धारा 420, 409, 120बी के तहत कार्यवाही की गई है. साथ ही आरोपी भरत दवे, श्याम दवे एवं प्रमोद दहीगुड़े के विरूद्ध रासुका की कार्यवाही की जा रही है।
255480 किलो खाद्यान्न का गबन
जांच दल को मामले में रिकार्ड में गड़बड़ी मिली. राशन माफियाओं ने कुल 255480 किलो खाद्यान्न का गबन कर 79 लाख 4 हजार 479 रूपये का आर्थिक घोटाला किया गया. इस तरह राशन माफियाओं ने 51096 हितग्राहियों को राशन जैसी जीवन की प्राथमिक आवश्यकता से वंचित किया, जो ना सिर्फ कानूनन बल्कि नैतिक रूप से भी अक्षम्य अपराध है।